गोपालदास नीरज को दसवीं में हुआ एक लड़की से प्यार, और बन बैठे कवि

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60 के दशक में आई धर्मेंद्र और वैजयंती माला की फिल्म ‘प्यार ही प्यार’ का मशहूर गीत ‘मैं कभी कवि ना बन जाऊं, तेरे प्यार में ऐ कविता’ मशहूर कवि गोपालदास नीरज पर एकदम मुफीद बैठता है. क्योंकि गोपालदास नीरज भी किसी के प्यार की वजह से ही कवि बने थे.

गीत-ग़ज़लों के राजकुमार कहे जाने वाले गोपालदास नीरज की आज जयंती है. गीतकारों और कवियों की दुनिया में नीरज जी का नाम बड़े ही अदब से लिया जाता है. जैसे उनके गीतों में जादू था, एक चमत्कार था, वैसा ही उनका जीवन भी कम रोचक नहीं था. गोपालदास नीरज को प्यार-मोहब्बत से भरे गीतों के लिए जाना जाता है. मदहोश हुआ जाए रे, दिल आज शायर है, खिलते हैं गुल यहां, लिखे जो खत तुझे जैसे प्यार भरे नगमें लिखने वाले नीरजजी भी कच्ची उम्र में ही दिल दे बैठे थे.

गोपाल दास नीरज का कवि जीवन असल मायनो में 1942 में शुरू हुआ था. इस समय नीरज हाई स्कूल में पढ़ते थे और पढ़ाई के दौरान ही उनकी एक लड़की से आंखें चार हो गईं. लेकिन उनका प्यार परवान नहीं चढ़ सका और लड़की की शादी कहीं और हो गई. लड़की की शादी से गोपालदास नीरज का दिल टूट गया और वे बहुत दुखी हुए. अपनी प्रेयसी का बिछोह नीरज जी सहन न कर सके और उसके वियोग में उन्होंने ये कविताएं रच डालीं-

कितना एकाकी मम जीवन,
किसी पेड़ पर यदि कोई पक्षी का जोड़ा बैठा होता,
तो न उसे भी आँखें भरकर मैं इस डर से देखा करता,
कहीं नज़र लग जाय न इनको।

बस फिर क्या था, दिल के अरमान शब्द बनकर निकलने लगे और ये शब्द ही गीत-गजलों की शक्ल में लोगों के दिलों पर राज करने लगे. देखते-देखते ही गोपालदास नीरज उस समय ही नहीं वर्तमान समय के भी सबसे चर्चित कवि बन गए. सही मायनों में गोपालदास नीरज प्रेम पुजारी रहे हैं.

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नीरजजी ने एक से बढ़कर एक प्रेम गीत लिखे. गोपालदास नीरज से हमेशा आदमी और आदमीयत से प्यार किया. तभी तो उन्होंने लिखा- ‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं, आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं’.

नीरज की कविताओं में शृंगार और प्रेम की प्रधानता रहती थी. हर मौसम में उनके गीतों से प्रेम झड़ता था. उन्होंने अपने जीवन में हमेशा प्रेम को प्राथमिकता दी. कहते हैं कि मेरठ कॉलेज में अध्यापन के दौरान उन पर कक्षाएं नहीं लेने और रोमांस करने के आरोप लगे थे और इन्हीं आरोपों के चलते उन्होंने नौकरी छोड़ दी.

नीरज ने अपने गीतों से हमेशा प्रेम की वर्षा की. कवि सम्मेलनों में उनकी प्रसिद्धि का आलम ये था कि लोग उन्हें सुनने के लिए पूरी-पूरी रात बैठे रहते थे. नीरज ने लगभग सात दशक तक कवि सम्मेलनों में बादशाहत की. हरिवंश राय बच्‍चन, रामधारी सिंह दिनकर, बालकृष्‍ण शर्मा नवीन जैसे कवियों के दौर में नीरज ने मंचों पर अपनी अलग पहचान स्थापित की. नीरज के गीत और कविताएं धीरे-धीरे लोगों के मन में घर बनाती गईं और उनका जलवा आज भी कायम है. नीरज गीतों के राजकुमार और छंदों के बादशाह बन गए.

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प्रसिद्ध गीतकार और भाषाविद् डॉ. ओम निश्चल नीरज को याद करते हुए कहते हैं कि गोपालदास नीरज अपनी रचनाओं से सदैव प्रेम का पथ बुहारते रहे हैं. नीरज की नजरों में प्रेम नहीं तो जीवन नहीं. उन्होंने बहुत ही शानदार प्रेमगीत लिखे. जैसे- ‘प्रेम पथ हो न सूना कभी इसलिए, जिस जगह मैं थकूं उस जगह तुम चलो’.

गोपालदास नीरज की लोकप्रियता (खासकर प्रेम गीतों के लिए) को लेकर प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास ने एक किस्सा सुनाया. वह किस्सा इस प्रकार है कि राज्यसभा सदस्य बालकवि बैरागी नीरज जी बहुत बड़े प्रशंसक थे. बैरागी जी कहते थे कि नीरज जी जब इस धरती से प्रस्थान करेंगे तो उनकी शव यात्रा में हम नहीं जाएंगे. इसके पीछे बैरागी जी तर्क देते थे कि चूंकि पूर्वजों की शव यात्रा में वंशजों को नंगे पैर चलना पड़ता है और नीरज जी की शव यात्रा में तो इतनी चूड़ियां टूटेंगी कि चलना मुश्किल हो जाएगा.

कुमार विश्वास कहते हैं कि बैरागी जी के इस किस्से पर नीरज जी खुद भी खूब हँसा करते थे. कुमार कहते हैं कि गोपालदास नीरज प्रेम को त्योहार की तरह जीने वाले थे. नीरज ने इश्क को एक फकीरी की तरह जीया.

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