नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में खराब क्वालिटी की दवा के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद अब एक और मामले में केजरीवाल सरकार की मुसीबत बढ़ती दिख रही है. सरकारी अस्पतालों में खराब क्वालिटी की दवा पर एक्शन के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक और मामले में CBI जांच के आदेश दिए हैं. उपराज्यपाल कार्यालय के मुताबिक, दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे मोहल्ला क्लीनिक में फर्जी मरीजों के नाम पर पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी के फर्जी टेस्ट किए गए. इसी मामले में एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है.
क्या है मामला
दरअसल, अगस्त 2023 के महीने में कुल 7 मोहल्ला क्लिनिक में कुछ अनियमितताएं पाई गई थीं. जहां पर स्टाफ पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो के आधार पर गलत तरीके से अपनी अटेंडेंस लगा रहा था. सितंबर 2023 में इनके खिलाफ एक्शन लिया गया और एफआईआर दर्ज की गई. मोहल्ला क्लिनिक में आने वाले मरीजों की जांच कराने का ठेका दिल्ली सरकार ने दो प्राइवेट लैब को दिया हुआ है.
1. M/s Agilus Diagnostics Ltd.
2. M/s Metropolis Health Care Ltd.
जुलाई से सिंतबर तक कितने टेस्ट?
जुलाई से सितंबर 2023 के लैब रिकॉर्ड जुटाए गए थे. ये दोनों लैब द्वारा किए गए टेस्ट रिकॉर्ड थे. जांच में पाया गया कि इन 7 मोहल्ला क्लीनिक में फर्जी और गलत मोबाइल नंबर दर्ज कर मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया गया और उनकी लैब जांच कराने के लिए कहा गया. कई मोबाइल नंबर को एक से ज्यादा मरीजों के लिए इस्तेमाल किया गया. 7 मोहल्ला क्लिनिक में जुलाई से लेकर सितंबर 2023 के बीच 5,21,221 लैब टेस्ट कराए गए. कुल 11,657 बार मरीज का मोबाइल नंबर सिर्फ़ ‘0’ लिखा गया, जबकि 8251 मामलों में मरीजों का नंबर ही नहीं लिखा गया.
खराब गुणवत्ता वाली दवा को लेकर भी हुआ है एक्शन
बता दें कि दिल्ली में एक घोटाले की खबर ऐसे वक्त में आई है, जब बीते दिनों ही एलजी ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में खराब गुणवत्ता की दवाओं को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय ने दावा किया था कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में खराब गुणवत्ता की दवाएं मिली हैं. एलजी दफ्तर ने कहा था कि अस्पताल में जांचे गए 10% नमूने फेल साबित हुए हैं. दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है. बताया गया कि विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने यह एक्शन लिया है.
विजिलेंस की रिपोर्ट को आधार बनाकर सीबीआई जांच
विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट में दावा किया गया कि सरकारी प्रयोगशालाओं में भेजे गए 43 नमूनों में से 3 नमूने विफल रहे क्योंकि 12 रिपोर्ट अभी भी लंबित हैं. निजी प्रयोगशालाओं में भेजे गए अन्य 43 नमूनों में से 5 नमूने विफल हो गए हैं और 38 नमूने मानक गुणवत्ता के पाए गए हैं. विजिलेंस विभाग ने सिफारिश की है कि चूंकि 10 फीसदी से ज्यादा सैंपल फेल हो गए हैं, इसलिए विभाग को सैंपलिंग का दायरा बढ़ाना चाहिए. दवाएं सरकार की केंद्रीय खरीद एजेंसी द्वारा खरीदी गईं और सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों को आपूर्ति की गईं.
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FIRST PUBLISHED : January 4, 2024, 11:05 IST