Hindi Poetry : किसी के आने की गुंजाइश उतनी ही है, जितनी मेरी किसी के पास जाने की- मानव कौल

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Hindi Poetry : किसी के आने की गुंजाइश उतनी ही है, जितनी मेरी किसी के पास जाने की- मानव कौल

19 दिसम्बर 1976 को बारामुला, कश्मीर में जन्मे अभिनेता, नाटककार, मंच निर्देशक और फ़िल्म निर्देशक मानव कौल एक बेहतरीन लेखक भी हैं. मानव सिनेमा की दुनिया का जाना-माना चेहरा हैं और एक्टिंग के साथ-साथ साहित्य की दुनिया में भी लगातार सक्रिय रहते हैं. मानव की अब तक कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें- ‘ठीक तुम्हारे पीछे’ (कहानी संग्रह), ‘प्रेम कबूतर’ (कहानी संग्रह), ‘तुम्हारे बारे में’, ‘बहुत दूर, कितना दूर होता है’, ‘चलता फिरता प्रेत’, ‘अंतिमा’ (उपन्यास), ‘कर्ता ने कर्म से’, ‘शर्ट का तीसरा बटन’, ‘रूह’ और ‘तितली’ (उपन्यास) मुख्य हैं. आइए पढ़ते हैं, मानव कौल की कविताओं से चुनिंदा पंक्तियां…

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ये पंक्तियां मानव कौल की कविता ‘दरवाज़े’ से ली गई हैं.

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ये पंक्तियां मानव कौल की कविता ‘प्रेम’ से ली गई हैं.

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ये पंक्तियां मानव कौल की कविता ‘नींद’ से ली गई हैं.

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ये पंक्तियां मानव कौल की कविता ‘दरवाज़े’ से ली गई हैं.

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ये पंक्तियां मानव कौल की कविता ‘जूता’ से ली गई हैं.

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ये पंक्तियां मानव कौल की कविता ‘आश्चर्य’ से ली गई हैं.

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ये पंक्तियां मानव कौल की कविता ‘दरवाज़े’ से ली गई हैं.

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