जोशीमठ शहर को पूरी तरह से उजाड़ना चाहती है सरकार – यशपाल आर्य

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संवाददाता – ज्योति स्वरुप अग्रवाल 

(बाजपुर,सुल्तानपुर पट्टी) नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि जोशीमठ के आपदा प्रभावितों को राहत देने में नाकाम राज्य सरकार अब शहर का नाम बदल कर अपनी नाकामयाबियों को छुपाना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया सच में तो सरकार जोशीमठ शहर से लोगों को उजाड़ना चाहती है।
उन्होंने कहा कि, जोशीमठ आपदा के 18 माह बाद भी आपदा प्रभावित लोगों के हालात नहीं बदले हैं। सीमांत चमोली के इस ऐतिहासिक-धार्मिक-सांस्कृतिक शहर को बचाने, प्रभावितों के पुनर्वास और विस्थापन के लिए सरकार ने कोई काम नहीं किया है। आर्य ने कहा कि समाप्तप्रायः 192 मकानों के मुआवजा तो दिया है लेकिन जिस जमीन पर वे मकान बने थे अभी तक उस जमीन के मुआवजे का रेट भी तय नहीं है। प्रशासन ने 1200 और घरों को रेड जोन में रखकर उन्हें विस्थापित करना है लेकिन उन्हें बसाने के लिए अभी तक भूमि भी नहीं खोजी गई है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अब यह सिद्ध हो गया है कि एनटीपीसी परियोजना के कारण ही जोशीमठ शहर खतरे में आया था क्योंकि परियोजना के इस हिस्से में काम बंद होने के बाद जोशीमठ का भू-धंसाव लगभग रुक गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को एनटीपीसी के काम को पूरी तरह रोक देना चाहिए। यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार ने शहर के नीचे बन रहे हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का काम भी बंद नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि शहर के बचाव के लिए अभी तक अलकनंदा नदी पर तटबंधों का काम शुरू नही हुआ है न ही पानी के ड्रेनेज और सीवर लाइन का काम शुरू हुआ है। कहा कि सरकार ने खतरे की जद में आये जोशीमठ में खतरे वाले इलाकों का सर्वे भी भेदभावपूर्ण किया है। उन्होंने कहा कि ये कैसे संभव है कि सेना के इलाके को तो सर्वे में सुरक्षित बता दिया है और उनकी बाड़ से लगे डाड़ो गाँव सर्वे में असुरक्षित हो गया है। सर्वे में परियोजना से जुड़े सारे इलाके सुरक्षित बताए गए हैं और बगल की बस्तियों को असुरक्षित।

नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार के निर्णयों से ऐसा लगता है कि वह जोशीमठ शहर को पूरी तरह से उजाड़ कर परियोजनाओं और सेना के लिए आरक्षित करना चाहती है। कत्यूरों के समय से ही इस ऐतिहासिक-धार्मिक-सांस्कृतिक शहर का नाम जोशीमठ था अब अमृतकाल में सरकार की कु-नीतियों से ये शहर उजड़ रहा है। ऐसे में नाम बदलने से शहर के लोगों और शहर का कोई भला होने वाला नहीं है।

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